सर्दियों के विशेष प्रबंधन और सही उन्नत किस्मों का चयन दिलाएगा बंपर मुनाफा; जानें किन फसलों की बुवाई से बदलेगी किस्मत।
दिसंबर में सब्जी खेती के लिए खेत की तैयारी और खाद प्रबंधन
दिसंबर के महीने में सब्जी फसलों की बुवाई के लिए जमीन की तैयारी सबसे महत्वपूर्ण कदम है। कड़ाके की ठंड और विपरीत परिस्थितियों में पौधों को मजबूती प्रदान करने के लिए एक एकड़ खेत में कम से कम 3 से 4 ट्रॉली अच्छी तरह सड़ा हुआ गोबर का खाद डालना अनिवार्य है। रासायनिक खाद के रूप में प्रति एकड़ 1 बैग डीएपी (DAP), 20 से 25 किलो मयूरिएट ऑफ पोटाश (MOP) और 3 किलो सल्फर (90%) का उपयोग करना चाहिए। सल्फर न केवल पोषक तत्व है, बल्कि यह जमीन में गर्माहट बनाए रखने में भी मदद करता है। यदि खेत में पहले से सब्जियां उगाई जा रही हैं, तो मिट्टी के कीड़ों और नेमेटोड से बचाव के लिए फिप्रोनिल या कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड का उपयोग करना लाभदायक रहता है।
हरी मिर्च और शिमला मिर्च की अगेती खेती
दिसंबर में हरी मिर्च की बुवाई या नर्सरी लगाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जब यह फसल फरवरी के पहले या दूसरे हफ्ते में मंडी पहुंचती है, तब इसके दाम 60 से 80 रुपये प्रति किलो तक मिल जाते हैं। चुनाव करते समय हमेशा ‘वायरस प्रतिरोधी’ (Virus Tolerant) किस्मों को प्राथमिकता दें। वहीं शिमला मिर्च की बात करें तो फरवरी और मार्च के दौरान इसके भाव 70 से 100 रुपये प्रति किलो के बीच रहते हैं। मिर्च की फसल में मल्चिंग और ड्रिप का उपयोग करने से उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है।
भिंडी और ग्वारफली से रिकॉर्ड तोड़ कमाई
अगर आपके क्षेत्र में पाला (Frost) जमने की समस्या कम है, तो दिसंबर में भिंडी की बुवाई करना एक बेहतरीन फैसला हो सकता है। इस समय लगाई गई भिंडी जब बाजार में आती है, तो इसके दाम साल के सभी रिकॉर्ड तोड़ देते हैं। इसी तरह ग्वारफली कम लागत में सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है। ग्वारफली की मांग मंडियों में हमेशा बनी रहती है और गर्मियों की शुरुआत में इसके दाम 100 रुपये किलो तक पहुंच जाते हैं। एक एकड़ ग्वारफली की खेती से किसान 2 से 4 लाख रुपये तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं।
बेलवर्गीय फसलें: करेला, लौकी और खीरा
करेले और लौकी की मांग पूरे साल बनी रहती है। दिसंबर में करेले की बुवाई करने पर फरवरी में इसके दाम 50 रुपये किलो से ऊपर रहते हैं। इस मौसम में करेले को मचान के बजाय जमीन पर भी फैलाया जा सकता है। लौकी की खेती भी इस समय बहुत लाभदायक है, जो जून तक निरंतर उत्पादन देती रहती है। खीरे के मामले में किसान या तो सीधे बीज बो सकते हैं या प्रो-ट्रे में नर्सरी तैयार कर सकते हैं। नर्सरी तैयार करने से फसल करीब एक महीना पहले तैयार हो जाती है, जिससे बाजार में शुरुआती ऊंचे दामों का लाभ मिलता है।
तरबूज, खरबूज और कद्दू का बंपर उत्पादन
दिसंबर का समय तरबूज और खरबूज की नर्सरी तैयार करने या अगेती बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त है। बेलवर्गीय फसलों में तरबूज सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली फसल मानी जाती है। खरबूजे की खेती थोड़ी संवेदनशील होती है, इसलिए इसकी किस्मों का चुनाव क्षेत्र की जलवायु के अनुसार ही करें। इसके अतिरिक्त, ‘कद्दू’ (Pumpkin) एक ऐसी फसल है जो बहुत कम खर्च में तैयार होती है और बेलवर्गीय सब्जियों में सबसे पहले मंडी पहुंचती है। शुरुआती सीजन में कद्दू के 15 से 20 रुपये किलो के भाव भी किसानों को अच्छा मुनाफा दे जाते हैं।
सर्दियों में पाले से बचाव के लिए शाम के समय खेत में हल्की सिंचाई जरूर करें या ‘लो टनल’ तकनीक का उपयोग करें। क्या आप इस सीजन में इनमें से कोई सब्जी लगाने की योजना बना रहे हैं?