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चिया सीड्स की खेती: कम पानी और न्यूनतम लागत में लाखों की कमाई, जानें बुवाई का आधुनिक तरीका

औषधीय गुणों के कारण बाजार में बढ़ी मांग; महाराष्ट्र के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है यह ‘सुपरफूड’ फसल

खेती में बढ़ती लागत और बाजार के उतार-चढ़ाव से परेशान किसानों के लिए ‘चिया सीड्स’ एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभरा है। चिया मूल रूप से एक औषधीय और पोषण से भरपूर फसल है, जिसकी मांग वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है। महाराष्ट्र में इस वर्ष इसकी खेती का रकबा 10 हजार हेक्टेयर तक पहुंचने का अनुमान है, क्योंकि यह फसल बहुत कम पानी में तैयार हो जाती है और इसे जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते। चिया की सफल खेती के लिए 10 से 45 डिग्री सेल्सियस का तापमान अनुकूल होता है, जो इसे राज्य की जलवायु के लिए एकदम सटीक बनाता है।

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चिया की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के दूसरे सप्ताह तक होता है। अच्छी पैदावार के लिए रेतीली और हल्की अम्लीय मिट्टी सबसे उत्तम मानी जाती है। बुवाई के लिए प्रति एकड़ केवल 1 से 1.25 किलो बीज की आवश्यकता होती है। मिट्टी के प्रकार के अनुसार कतारों के बीच की दूरी तय करनी चाहिए; हल्की मिट्टी में 45 सेमी और भारी काली मिट्टी में 90 सेमी की दूरी रखना फायदेमंद होता है। बुवाई करते समय बीजों को 3-4 सेंटीमीटर से ज्यादा गहरा न बोएं और इसके तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। बुवाई के 7 से 10 दिनों के भीतर अंकुरण दिखने लगता है।

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