मौसम विशेषज्ञों ने जताई चिंता; प्रशांत महासागर में तापमान बढ़ने से मानसूनी हवाएं पड़ सकती हैं कमजोर, जानें पूरी रिपोर्ट।
प्रशांत महासागर और अल-नीनो की वर्तमान स्थिति
मौसम वैज्ञानिक किरण वाघमोड़े के अनुसार, वर्तमान में प्रशांत महासागर में ‘ला-नीना’ (La-Nina) सक्रिय है, जिसके कारण आमतौर पर देश में अच्छी बारिश होती है। हालांकि, यह स्थिति लंबे समय तक नहीं रहने वाली है। पूर्वानुमान मॉडलों के अनुसार, जनवरी और फरवरी 2026 के बाद ला-नीना का प्रभाव धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा और परिस्थितियां सामान्य (न्यूट्रल) होने लगेंगी। सबसे बड़ी चिंता जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीनों को लेकर है, जब प्रशांत महासागर के सूचकांक में तापमान बढ़ने की संभावना है, जो ‘अल-नीनो’ (El-Nino) के आगमन का संकेत दे रहा है।
अल-नीनो का मानसून पर प्रभाव और ऐतिहासिक आंकड़े
जब अल-नीनो सक्रिय होता है, तो भारत की ओर आने वाली मानसूनी हवाएं (Trade Winds) कमजोर पड़ जाती हैं, जिससे बारिश की मात्रा में काफी कमी आती है। 1871 से 2023 तक के ऐतिहासिक आंकड़ों का विश्लेषण करें तो यह पाया गया है कि अल-नीनो के दौरान देश में बारिश का औसत बहुत कम रहा है। इतिहास में केवल चार ही बार ऐसा हुआ है कि अल-नीनो के बावजूद अच्छी बारिश हुई हो, वरना अधिकांश समय देश को सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा है। इस आधार पर मानसून 2026 में कम बारिश होने की प्राथमिक आशंका जताई जा रही है।




















